tag:blogger.com,1999:blog-6856850115337334890.post2952398077554048552..comments2023-10-26T02:38:56.042-07:00Comments on रवि धवन: आओ स्वागत करें और कुछ सीखेंरवि धवनhttp://www.blogger.com/profile/04969011339464008866noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6856850115337334890.post-46130486377490381622010-02-02T12:09:29.928-08:002010-02-02T12:09:29.928-08:00कैद दिलों को खुला आसमा दिखाते परिंदें
कैसे उन्मुकत...कैद दिलों को खुला आसमा दिखाते परिंदें<br />कैसे उन्मुकत्ता और दूर फिकरप्रस्ती से<br />निश्छल प्रेम का एहसास कराते परिंदें<br />दूर देश से आये हैं आज वो<br />अब तो तेरा-मेरा छोड़ कुदरत के बन्दे<br />कब तक परीक्षा देंगे परिंदें <br /><br />बहुत खूबसूरती से आपने अपनी बात कही है....सच ही तो है कब तक हम एक-दूसरे को दू धकेलते रहेंगे...<br />कब तक ??स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6856850115337334890.post-34440858795047627332009-12-03T06:53:57.499-08:002009-12-03T06:53:57.499-08:00अरे वाह.......... पानीपत से एक और ब्लाग... बधाई प्...अरे वाह.......... पानीपत से एक और ब्लाग... बधाई प्यारे... फुर्सत हो तो ९८९६२०२९२९ पर बात करना....योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6856850115337334890.post-28542281013283240752009-10-25T09:04:48.569-07:002009-10-25T09:04:48.569-07:00कैद दिलों को खुला आसमा दिखाते परिंदें
कैसे उन्मुकत...कैद दिलों को खुला आसमा दिखाते परिंदें<br />कैसे उन्मुकत्ता और दूर फिकरप्रस्ती से<br />निश्छल प्रेम का एहसास कराते परिंदें<br />दूर देश से आये हैं आज वो<br />अब तो तेरा-मेरा छोड़ कुदरत के बन्दे<br />कब तक परीक्षा देंगे परिंदें <br /><br />Waah ....!!<br /><br />Aapke simaaon ko todte vichar achhe lage ....aur ye chand panktiyaan jo aapne pesh ki aapke ek achhe rachnakar hone ki gwahi dete hain ......swagat hai .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6856850115337334890.post-33835964594043776362009-10-24T22:27:35.682-07:002009-10-24T22:27:35.682-07:00बहुत सुंदर लिखा है आपने ! कभी कभी तो मैं सोचती हू...बहुत सुंदर लिखा है आपने ! कभी कभी तो मैं सोचती हूँ कि काश मैं पंछी होती तो यूँ आसमान में उड़ती रहती ! इस बेहतरीन और शानदार पोस्ट के लिए बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.com