Saturday, July 24, 2010

फन्नी मगर खतरनाक है zindagi 365.com, देखों कहीं बकरा न बन jana

रवि, यहां आओ।
जी एक मिनट सर। 'यार अखबार तो ठीक है ना आज का। पेपर पर सरसरी नजर डालते हुए मैं बॉस के पास पहुंच गया'।
जी सर, 'मैंने उनके पास जाकर बॉस से बुलाने का कारण पूछा'।
'क्या तुम अब संस्थान के साथ काम नहीं करना चाहते। अचानक क्या हुआ', बॉस ने मुझे देखते हुए पूछा।
बॉस के ये अल्फाज मुझे किसी विस्फोट से कम नहीं लगे। मैंने तो अभी संस्थान छोडऩे बारे सोचा भी नहीं। एकदम से बॉस ये क्या पूछ रहे हैं।
सर, 'मैं क्यों छोड़ूंगा नौकरी'।
'तुम्हारा ईमेल मिला है मुझे। इसमें लिखा है कि मैं संस्थान से इस्तीफा दे रहा हूं। आज से मेरी सेवाएं समाप्त समझी जाएं', बॉस ने बताया।
'सर, शायद आपको गलतफहमी हुई है। मैंने ऐसा कोई ईमेल नहीं किया आपको', मैंने आत्मविश्वास मगर थोड़ा डरते हुए अपनी बात कही।
तो ये क्या है।
बॉस ने अपना कम्प्यूटर दिखाते हुए कहा। ये ईमेल तुम्हारे ही आईडी से तो मिली है मुझे। तो फिर तुम कैसे कह सकते हो कि तुमने ईमेल नहीं किया।
'सर, जरूर किसी ने मजाक किया होगा या फिर मेरा ईमेल आईडी हैक कर ये ईमेल कर दिया हो आपको'। बॉस को मेरी बात पर शायद विश्वास हो गया और उन्होंने मुझे अपना काम करने के लिए भेज दिया।
बॉस के कैबिन से बाहर आते हुए झूठे ईमेल बारे सोच रहा था। आखिर कौन हो सकता है, जिसने यह ईमेल कर दिया।
क्या हुआ रवि, बॉस क्या कह रहे थे। मेरे सहकर्मी ने मुझसे पूछा।
'कुछ नहीं यार। किसी ने मेरे ईमेल आईडी से बॉस को मेरे नाम से इस्तीफा भेज दिया'।
क्या बात कर रहा है, फिर तो बॉस बिगड़ गए होंगे।
'हां, थोड़े से नाराज थे। मगर मेरी सफाई से संतुष्ट हो गए। मैं जरा ईमेल आईडी खोलकर देखता है। शायद वहां से कुछ क्ल्यू मिल जाए'।
मेरा सहकर्मी और दूसरे साथी हंसने लगे और बन गया बकरा चिल्लाने लगे।
तब समझा, इन लोगों ने मिलकर मुझे बकरा बनाया है।
पर ये सब कैसे किया, मैं समझ नहीं सका।
बाद में पता चला कि मेरे साथी ने एक वेबसाइट पर जेड टूल से मेरे ईमेल आईडी से बॉस को मेल कर दिया था। यहां से अगर आपके ईमेल से किसी को ईमेल कर दी जाए तो कोई साबित नहीं कर पाता कि आपने ईमेल नहीं किया।
मैं जरूर थोड़ी देरी के लिए घूम गया, मगर आप जरूर ध्यान रखना। अगर आपके आईडी से कोई किसी को ईमेल कर दे तो घबराएं मत। क्योंकि यह www.zindagi 365. की करामात या यूं कहें कि कारस्तानी हो सकती है। मैं आपको इसका लिंक भी दे रहा है। यहां से आप इस खतरनाक जेड टूल का प्रयोग कर अपने दोस्तों को बकरा बना सकते हैं। मगर ध्यान रखें, ऐसा मजाक मत करना, जो जिंदगी पर भी भारी पड़ जाए।
http://zindagi365.com/
http://zindagi365.com/zmail.aspx

Sunday, July 4, 2010

...जान बचाओ प्यारो

चंटू को नया-नया इश्क हुआ। पर हाय री किस्मत! ये बुखार चढ़ा भी तो चौधरियों के ही अड्डे में। चौधरी तो चौधरी होते हैं भाई। कानून उनके लट्ठ के आगे पानी भरता है। फिर चंटू जैसों की हरियाणा में क्या बिसात। अगूंठा टेक चंटू ने ढाई आखर तो पढ़ लिए पर, प्रेम के बुखार का ताप छुपाने की तकनीक नहीं सीख पाया था। वैसे भी इश्क और मुश्क कहां छिपते हैं। एक दिन निकला था भैंसों को नहलाने दूसरे गांव में। भैंस पर बैठे-बैठे ही गांव की छोरी से चंटू की आंखें सात-आठ हो गईं। उधर भैंसे नहाने में मग्न हुई तो इधर चंटू मियां पीपल के पेड़ के नीचे इश्क के जोहड़ में गोते लगाने लग गए। पीपल के पेड़ पर तो वैसे भी भूतों का वास होता है। उसे क्या मालूम था कि पहेली फिल्म में शाहरुख खान तक भूत बनकर लटके थे। हालांकि पीपल के पेड़ पर भूत लटके थे या नहीं यह तो पता नहीं, लेकिन पेड़ के पीछे तो गांव के दो चौधरी पत्ते खेल रहे थे। चंटू के इश्क की फाइल गांव की गली से लेकर पंचायत तक पहुंच गई। 'भाईचारे के गांव में नैन लड़ाए और वो भी हमारे होते हुए। इश्क ही लड़ाना था तो किसी दूसरी स्टेट से छोरी खरीद लेता। माना कि इब छोरियों की कमी हो रही है। पर इसका मतबल ये नहीं चौधरियों की मूंछ काटने पर उतारू हो जाओ। दो दिन पहले ही दो को फांसी पर लटकाया था। क्या, भूल गया है चंटू। सूबा, डूंगा, फत्ता और दूसरे भाई आज तक कंवारे बैठे हैं। पर किसी की हिम्मत नहीं इश्क नाम की चिड़ी को दाना भी डाल दें। पंचायत को अपनी इज्जत बचानी होगी और एक बार फिर एक जोड़े का बोझ कम करना होगा'। पंचायत के चौधरी रुष्ट हो चुके थे। इसी बीच लट्ठ उठाए एक पंच ने मीडिया के टांग अड़ाने की बात कहते हुए सावधानी बरतने की सलाह दी। 'अखबार वाले तो नालायक होते हैं। इनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। सुबह जो छापते हैं शाम को उसी पर जलेबी बिकती है। खाकी वर्दी वाले तो म्हारे ही छोरे हैं और लीडर को पंचायत ही चुनती है। तो फिक्र नॉट और अपने मुस्टंडों को चंटू की फाइल सौंप दो। जिस भी जोहड़, पीपल के पेड़ या फिर किसी धर्मशाला में दिखाई दे, उसे पकड़कर हाजिर करो। उसकी पारो को भी साथ लेकर आना। नैन बेशक चंटू ने लड़ाए है पर इसमें कसूर उसके बाबू और मां का भी कम नहीं है। ऐसा बेअकल छोरा पैदा कर दिया और गांव की इज्जत पर कलंक लगा दिया। चंटू को तो यमपुरी भेजना ही है पर इसके बाबू और मां को भी गांव निकाला दे दो। आज के बाद कोई बाबू और मां भी छोरा-छोरी पैदा करन से पहले सोच लेंगे कि बच्चों को कुछ भी बनाएंगे पर प्यार मोहब्बत के पाठ से दूर ही रखेंगे'। चौधरियों ने फैसला सुना दिया। ...और इसके बाद चंटू और उसकी पारो का तो कुछ अता पता नहीं चला पर फैसला सुनाने वाला चौधरी देश की सबसे बड़ी पंचायत में जरूर पहुंच गया है। यहां अब वो हिंदू मैरिज एक्ट को ही बदलने के लिए लट्ठ गाड़ रहा है। ...तो नैनों के आसपास अब घोड़े की तरह पट्टियां लगा लें। कहीं ऐसा न हो कि अंखियां लड़ जाएं बीच बजार और झेलना पड़ जाए लाठियों का प्रहार और खुल जाएं स्वर्ग के द्वार। चंटू भी वहां पहुंच चुका है और संदेश दे रहा है, ये इश्क नहीं आसां पारो, चौधरियों से जान बचाओ प्यारो।