Monday, August 2, 2010

सबकुछ प्री प्लांड है

देशभर में कॉमवेल्थ गेम्स को लेकर हल्ला मचा हुआ है। विपक्षी पार्टियां घोटालों का आरोप लगाते हुए दिल्ली बंद तक करने पर तुली हैं। इसके बावजूद हमारे आयोजन समिति के चौधरियों, ठेकेदारों, मालियों, तकनीशियनों और छोटी-छोटी फर्मों से लेकर सबसे बड़े चौधरी धनमाडी साहब के चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। ऐसा होता है किसी भी महान कार्य को करने से पूर्व किसी महान व्यक्ति का कांफिडेंस। आइए आज हम आपको मिलवाते हैं इस वर्ष के सबसे फेमस चेहरे वन एंड ऑनली मिस्टर धनमाडी से।

धनमाडी जी सबसे पहला सवाल, आपने अपना नाम क्यों बदल लिया ?
एक्चुली क्या है कि मेरे ज्योतिषियों ने मुझे सुझाया कि कलमाडी नाम मेरे ग्रहों के लिए ठीक नहीं है। कलमाडी का मतलब है आने वाला कल माड़ा (खराब)। इसलिए मैंने माडी से पहले धन जोड़ लिया। जिसके साथ धन होगा उसका कल कैसे माड़ा हो सकता है जी।
आप पर विपक्षी पार्टियां भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है, आपका क्या कहना है ?
देखिए। मेरा मतलब सुनिए। हमारे देश में चारा घोटाला, स्टांप घोटाला और शेयर घोटाला हो चुका है। पब्लिक बोर हो गई है। उन्हें कुछ नया चाहिए कि नहीं। वैसे भी यह हमारा गेम प्लान है। जिसमें हम सक्सेस हो गए हैं।
इस प्लान से क्या फायदा हुआ ?
ये सीक्रेट है। ये आपको कॉमनवेल्थ के बाद बताएंगे।
खेल के स्टेडियम उद्घाटन के बाद ही टपकने लगे हैं। दिल्ली की सड़कें टूटी पड़ी हैं। इतने कम समय में क्या आयोजन के सक्सेस हो पाएगा ?
वेरी इंटेलिजेंट क्वेस्चन। ये भी हमारे गेम प्लान का ही हिस्सा था। हम चाहते हैं कि हमारे सभी खिलाड़ी केवल और केवल गोल्ड मेडल ही जीतें। दूसरे मुल्कों के खिलाड़ी शातिर होते हैं और मेडल जीत जाते हैं। इस बार हमने स्टेडियम अपने अनुकूल बनाए हैं। सभी पिचों पर खड्ढे हैं। पानी टपक रहा है। ऐसे हालात में विदेशी खिलाड़ी कंफ्यूज हो जाएंगे। पर हमारे खिलाड़ी ऐसे हालातों में खेलने के मास्टर हैं। अगर हमारे खिलाडिय़ों को चीकना मैदान दे दें तो पीछे ही रह जाते हैं। अब देखते हैं कैसे हमारे होनहार मेडल नहीं जीतते। हमने उनको हर आसान सुविधा दे दी है अब। जहां तक दिल्ली की सड़कों की बात है, विदेशी यहां एडवेंचर करने आ रहे हैं। रहने थोड़ा है उनको यहां। ऊंची नीची गड्ढम गड्ड सड़क पर जब चलेंगे तो उनको कितनी खुशी होगी, ये आप नहीं समझ सकते। ऐवरीथिंग इस प्लांड माय ब्वाय।
आप तो भारत रत्न मांग रहे हैं ?
क्यों न मांगे भारत रत्न। चीन ने बीजिंग ओलंपिक में अपना जलवा दिखाया। अब हमें भी कुछ अलग करके दिखाना था। मैंने अपना काम ईमानदारी से किया है। अब देखिए। सारी दुनिया आतंकवाद आतंकवाद चिल्ला रहे हैं। खेलों पर आतंकवादी खतरा मंडरा रहा था। आतंकवादी क्या चाहते हैं, खेल न हो। आज की डेट में जो हालात हैं, उसमें विश्व में मैसेज चला गया है कि इंडिया में कोई कॉमनवेल्थ गेम्स होंगे ही नहीं शायद। आतंकवादी भी चैन की सांस लेंगे और हम भी। बाद में हम चुपके से खेल करवा देंगे। भारत को मेरे जैसा हीरा कहीं मिलेगा कहीं। बताइए तो सही। मैं ही हूं असली खेल रत्न।
अय्यर साहब ने तो अपशकुन कर दिया। कह रहे हैं कि दुष्ट लोग खेल करवाते हैं ?
अय्यर साहब का अपशकुल भी एक सोचा समझा प्लान है। यू नो हम सब एक ही झुंड के बंदे हैं। पहले वो खेल मंत्रालय में थे। अब मैं हूं। सब कुछ ठीक हो जाएगा। यू विल सी।
टेंडर काफी महंगे दामों में जारी हुए ?
आप क्यों नहीं चाहते कि इंडिया कभी तरक्की करे। मैं चाहता हूं कि दुनिया देखे कि इंडिया कितना आत्मनिर्भर हो गया है। हमने करोड़ों रुपए में कुर्सियों, जेनरेटर और तंबूओं के टेंडर दिए हैं। इससे मैसेज जाता है कि वी आर हैप्पी पीपुल। विदेशियों को भी हमने टेंडर दिए हैं। सारा काम बिल्कुल योजनाबद्ध तरीके से चल रहा है।
सुना है कि इस पूरे खेल पर बॉलीवुड में फिल्म बनने जा रही है। आपको क्या लगता है कि आपका रोल किसे निभाना चाहिए ?
ये बॉलीवुड वाले भी ना बस। इनको तो कोई न कोई स्टोरी चाहिए। चलो बढिय़ा है। इससे तो हमारा नाम ही रोशन होगा। वैसे आपको नहीं लगता मैं फिजिकली और लुकिंग वाइज कितना अटरेक्टिव लगता हूं। ये रोल मुझे ही मिलना चाहिए। अगर मुझे रोल नहीं मिला तो कम से कम आमिर खान मेरी जगह लें। क्योंकि जिस तरह मैं अपना हर काम परफेक्ट करता हूं वैसे ही आमिर बंदा भी मेरे नेचर का है।
एक और आखिरी सवाल
सवाल जवाब बहुत हो गए। मेरी आज अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार से मीटिंग हैं। हम सोच रहे हैं कि अमेरिका को निमंत्रण दे दें ताकि इसी बहाने उन्हें हमारे मुल्क का हाल पता चले। और हमें भी वो पाकिस्तान की तरह डॉलर ही दे जाएं। देखा मेरी स्कीम...अगर सब कुछ ठीक ठाक होता तो क्या हम अमेरिका की जेब से कुछ निकलवा पाने की सोच सकते। अपनी सोच का दायरा बढ़ाओ दोस्त।
ओके बाय।
कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद मिलेंगे।