Wednesday, November 9, 2022

India Vs England T20 Cricket World Cup 2022 SemiFinal

भारत-इंग्‍लैंड सेमीफाइनल, टॉस इंग्‍लैंड ने जीता, भारत की पहली बल्‍लेबाजी, छह विकेट पर भारत के 168 रन, इंग्‍लैंड दस विकेट से जीता, 16 ओवर में 170 रन बनाए 


ऋषि सुनक के लिए हारा भारत, विदुर नीति भी समझ आ गई थी 


T20 क्रिकेट वर्ल्‍डकप (T20 Cricket World Cup 2022 SemiFinal) के सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्‍लैंड के हाथों बुरी तरह से हार गई। टॉस जीतने के बाद इंग्‍लैंड ने भारतीय टीम को पहले बल्‍लेबाजी के लिए निमंत्रण दिया। भारतीय बल्‍लेबाजों ने 168 रन बनाए। विराट कोहली और हार्दिक ने पचासे ठोके। केएल राहुल और रोहित शर्मा की ओपनिंग जोड़ी ने एक बार फि‍र से निराश किया। इंग्‍लैंड ने एक भी विकेट गंवाए 16 ओवर में 170 रन बनाकर मुकाबला जीत लिया। कप्‍तान बटलर ने 49 गेंद में 80 और उनके जोड़ीदार एलेक्‍स ने 47 गेंद पर तूफानी 86 रन बनाकर ये मैच आसानी से जीता। मैच में एक पल भी ऐसा नहीं लगा कि भारतीय गेंदबाज प्रभाव छोड़ रहे हैं। इंग्लिश ओपनर ने जमकर इनकी धुनाई की। 

⌣⌣⌣वैसे भारतीय प्रशंसक कह रहे हैं कि इस मुकाबले को भारतीय टीम 🏏🏏 ने जानबूझकर हारा है। ये तो ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक को हमने बधाई दी है। उनको तोहफा दिया है। ऋषि सुनक भारतीय मूल के हैं। भारतीयों ने सोचा कि इससे अच्‍छा क्‍या तोहफा होगा ऋषि सुनक के लिए। इसके साथ ही भारतीय टीम ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही विदुर नीति को भी समझ लिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था कि इंग्‍लैंड से हारना हो तो हार जाना लेकिन पाकिस्‍तान से जीतना ही विकल्‍प है। क्‍योंकि फाइनल पाकिस्‍तान से होना था। इंग्‍लैंड से हारकर भारतीयों ने विदुर नीति को अपना लिया। आगे लज्जित होने से बच गए। ऋषि सुनक का दिल जीत लिया। 


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वही हुआ, इसी ओवर में जीत गया इंग्‍लैंड। 
अब इंग्‍लैंड और पाकिस्‍तान में होगा वर्ल्‍डकप फाइनल

इंग्‍लैंड की पारी 170-0-16 (Target 169)


इसी ओवर में जीत सकते हैं अंग्रेज

30 गेंद पर 13 रन चाहिए


इंग्‍लैंड की पारी 156-0-15 (Target 169)

35 गेंद पर 14 रन चाहिए

इंग्‍लैंड की पारी 154-0-14 (Target 169)

जिस तरह रनों की बारिश हो रही है, उस हिसाब से दो सौ रन भी कम पड़ जाते

इंग्‍लैंड की पारी 144-0-13.3 (Target 169)

इंग्‍लैंड को 42 गेंद पर 29 रन चाहिए
इंग्‍लैंड की पारी 140-0-13 (Target 169)


इंग्‍लैंड की पारी 133-0-12.4 (Target 169)

48 पर 46 चाहिए अब
इंग्‍लैंड की पारी 123-0-12 (Target 169)


अश्विन को सिक्‍स
इंग्‍लैंड की पारी 110-0-11.2 (Target 169)


ये ब्‍लॉग देखकर कड़वे घूंट न पिएं। इंस्‍टाग्राम पर रील देखकर एन्जॉय करें

इंग्‍लैंड की पारी 108-0-11 (Target 169)
इंग्‍लैंड को 54 पर 61 चाहिए

इंग्‍लैंड के दो बाहुबलियों के सामने भारत के सारे शेर ढेर होते जा रहे

एक और सिक्‍स

60 गेंद पर 71 रन चाहिए

इंग्‍लैंड की पारी 98-0-10 (Target 169)

इस ओवर में सात रन 

इंग्‍लैंड की पारी 96-0-9.2 (Target 169)


इंग्‍लैंड की पारी 95-0-9.1 (Target 169)

आते ही चौके से स्‍वागत

इंग्‍लैंड की पारी 91-0-9 (Target 169)

अर्शदीप को लाया गया है। इनके पहले ओवर में आठ रन लगे थे 

अब तो चमत्‍कार से ही जीत सकती है भारतीय क्रिकेट टीम

29 पर 51 बना चुके हैं एलेक्‍स

इंग्‍लैंड की पारी 91-0-9 (Target 169)

इंग्‍लैंड को अब 66 गेंद पर 78 रन चाहिए। एक भी विकेट नहीं गिरा है अब तक। 

इंग्‍लैंड की पारी 89-0-8.3 (Target 169)


हार्दिक का भी चौके से स्‍वागत। दूसरी गेंद पर उन्‍हें दिखाई बाउंड्री

इंग्‍लैंड की पारी 85-0-8.1 (Target 169)

हार्दिक पांडया को लाया गया है

क्रिकेट बॉल इन्‍हें फुटबॉल नजर आ रही है। 

इंग्‍लैंड की पारी 84-0-8 (Target 169)


27 पर 49 बना चुके हैं एलेक्‍स

इंग्‍लैंड की पारी 81-0-7.3 (Target 169)
अक्षर को सिक्‍स पड़ा है। बेरहमी से बल्‍लेबाजी कर रहे इंग्लिश प्‍लेयर

हाथ से निकलता मैच। कोई भी गेंदबाज प्रभावी नहीं। 
किसे तो किसे लगाएं। भारतीय दर्शकों के चेहरे पर निराशा

इंग्‍लैंड की पारी 75-0-7 (Target 169)

अश्विन को भी सिक्‍स। 

इंग्‍लैंड की पारी 68-0-6.4 (Target 169)

इंग्‍लैंड की पारी 67-0-6.3 (Target 169)

इंग्‍लैंड की पारी 64-0-6.2 (Target 169)

रविचंद्रन अश्विन को लाया गया है
अभी तक अश्विन की दो गेंद पर एक रन

किसी भी तेज गेंदबाज को इंग्लिश प्‍लेयर ने नहीं बख्‍शा। धड़ाधड़ हमला। किसी तरह की कोई राहत नहीं। कोई छूट नहीं। शूटमशूट सिक्‍स और फोर जड़ रहे। 

इंग्‍लैंड की पारी 63-0-6 (Target 169)

इंग्‍लैंड की पारी 59-0-5.3 (Target 169)
अक्षर आए हैं, आते ही सिक्‍स खाए हैं


इंग्‍लैंड की पारी 52-0-5 (Target 169)

इंग्‍लैंड को 90 गेंद पर 117 रन चाहिए। 
भारतीय गेंदबाजों ने शुरुआती ओवरों में लुटाए रन 



ऐसे ही ये दोनों खेलते रहे तो जल्‍द जीत जाएंगे। 
भारतीय क्रिकेट टीम  के लिए चिंताजनक हालात 

इंग्‍लैंड की पारी 47-0-4.2 (Target 169)

शमी की दूसरी गेंद पर सिक्‍स। 
इंग्‍लैंड की पारी 41-0-4.1 (Target 169)
शमी के हाथ में गेंद 

चौथे ओवर में आठ रन
इंग्‍लैंड की पारी 41-0-4 (Target 169)


इंग्‍लैंड की पारी 38-0-3.3 (Target 169)

अक्षर को लाए लेकिन उन्‍हें भी पहली गेंद पर चौका
इंग्‍लैंड की पारी 37-0-3.1 (Target 169)


आठ रन प्रति ओवर चाहिए इंग्‍लैंड को। 11 रन प्रति ओवर के हिसाब से बना चुके हैं ये दोनों ओपनर तीन ओवर में। 

इंग्‍लैंड की पारी 33-0-3 (Target 169)

सिक्‍स पड़ गया भुवी को। इस बार एलेक्‍स ने हाथ खोले। 

इंग्‍लैंड की पारी 23-0-2.3 (Target 169)

भुवी का दूसरा ओवर। अभी तक सिंगल। 

इंग्‍लैंड की पारी 22-0-2.2 (Target 169)

इंग्‍लैंड की पारी 21-0-2 (Target 169)

इंग्‍लैंड की पारी 20-0-1.5 (Target 169)

इंग्‍लैंड की पारी 19-0-1.4 (Target 169)

अर्शदीप को भी चौका 
इंग्‍लैंड की पारी 18-0-1.2 (Target 169)


बटलर को आउट करना आवश्‍यक


इंग्‍लैंड की पारी 13-0-1 (Target 169)

भुवी का पहला ओवर महंगा पड़ा

इंग्‍लैंड की पारी 9-0-0.5 (Target 169)

इंग्‍लैंड की पारी


  • केएल राहुल 5 रन, पांच गेंद, एक चौका 
  • रोहित शर्मा 27  रन, 28 गेंद, एक चौका 
  • विराट कोहली 50 रन, 40 गेंद, चार चौके, एक सिक्‍स 
  • सूर्यकुमार यादव 14 रन, 10 गेंद, एक चौका, एक सिक्‍स 
  • हार्दिक पांडया हिट विकेट, 63 रन, 33 गेंद, 4 चौके और पांच सिक्‍स 
  • रिषभ पंत 6 रन, चार गेंद, एक चौका 

छह विकेट पर भारत के 168 रन

विराट 50 (40) चार चौके, एक छक्‍का। आउट 

हार्दिक पांडया 63 (33)  चार चौके और पांच छक्‍के

46 रन चौकों और सिक्‍स से बनाए 



भारत 168-6-20 Over

आखिरी गेंद पर पांडया आउट

हार्दिक ने अपना काम कर दिया है। अब गेंदबाजों ने दिखाना है कमाल

भारत 168-5-19.5 Over


अब एक चौका। 

भारत 164-5-19.4 Over


पांडया का एक और सिक्‍स। कमाल है पांडया। 

भारत 158-5-19.3 Over

पंत रन आउट

हार्दिक दो रन लेना चाहते थे लेकिन पंत का साथ नहीं मिला। 

भारत 158-4-19.2 Over


हार्दिक का भी एक ही रन। आखिरी ओवर में दो गेंद पर महज दो ही रन

भारत 157-4-19.1 Over

पंत का सिंगल। हार्दिक क्रीज पर अब। जरूरत अब हार्दिक की ही है। 

29 गेंद पर हार्दिक के 52 रन। तीन चौके और चार सिक्‍स 

मैच का आखिरी ओवर। क्रीज पर हैं पंत। 

19वें ओवर में आए हैं 20 रन

भारत 156-4-19 Over

19वें ओवर की आखिरी गेंद। हार्दिक के हाथ में बल्‍ला। उम्‍मीद चौके या छक्‍के की। 
जी हां, ये लगा है चौका। 
इसी के साथ हार्दिक का भी पचासा। 

धीमी शुरुआत लेकिन बाद में हाहाकार। 

28 पर 48 बना चुके हैं हार्दिक

भारत 152-4-18.5 Over


क्रीज पर हैं अभी हार्दिक। दो गेंद भी हैं। 

ये उड़ा दिया है छक्‍का। 

भारत 146-4-18.4 Over


हार्दिक क्रीज पर। चौथी गेंद खेलेंगे। 19वां ओवर है

चौका जड़ दिया है

भारत 141-4-18.3 Over


भारत 141-4-18.2 Over


पहली ही गेंद पर चौका लगा दिया है 

पंत क्रीज पर। पहली गेंद खेलेंगे। 

भारत 137-4-18.1 Over


पर अभी तो सिंगल

हार्दिक सेट हैं। छक्‍के उड़ा सकते हैं। फोकस भी उनका यही होगा। 


12 गेंद शेष


भारत 136-4-18 Over


क्रीज पर आए हैं पंत

विराट 50 (40) चार चौके, एक छक्‍का। आउट 

हार्दिक पांडया 37 (25)

भारत 136-4-18 Over


कोहली आउट। पचासा होते ही कोहली आउट

सर्वाधिक स्‍कोर करके कोहली सबसे आगे। 

इस वर्ल्‍ड कप में कोहली का चौथा पचासा। वाह कोहली। 

भारत 136-3-17.5 Over

बन गए। वो दो रन। 

कोहली को दो रन चाहिए पचासे के लिए 

कोहली अपने पचासे के करीब

भारत 134-3-17.4 Over

एक रन। अब क्रीज पर कोहली


स्‍कोर अगर 160 से ज्‍यादा बनता है तो मनोवैज्ञानिक दबाव बनेगा। 

भारत 133-3-17.3 Over


गेंद खाली। 

युवराज की तरह छह छक्‍के हो जाएं तो बल्‍ले बल्‍ले। 

भारत 133-3-17.2 Over


लगातार दूसरा सिक्‍स। वाह हार्दिक वाह। 

भारत 127-3-17.1 Over


एक बार फि‍र से हार्दिक के बल्‍ले से निकला है सिक्‍स। पिछले ओवर की तरह इस बार भी पहली गेंद पर सिक्‍स।

विराट 48 (38)

हार्दिक पांडया 24 (21)

हार्दिक दोबारा स्‍ट्राइक पर। विराट को आना चाहिए। आखिरी ओवर में विराट का प्रदर्शन विराट ही होता है

भारत 121-3-17 Over

एक रन

भारत 120-3-16.5 Over

इस ओवर में अब तक दस रन आ चुके हैं 

भारत 120-3-16.4 Over

दो रन

अगली तीन गेंदें महत्‍वपूर्ण हैं। 

भारत 118-3-16.3 Over


दो रन। 

भारत 116-3-16.1 Over


पहली गेंद को उड़ाया। इसी का इंतजार था। 

हार्दिक का सिक्‍स

विराट 48 (38)

हार्दिक पांडया 13 (15)


भारत 110-3-16 Over


अभी तो हार्दिक का सिंगल

वैसे आखिरी के दो ओवर भी गगनचुंबी हो गए तो काम बन जाएगा। 

भारत 109-3-15.5 Over


भारत 107-3-15.4 Over

कोहली का एक और चौका। 

भारत 102-3-15.2 Over

भारत 102-3-15.1 Over

फाइनल में पहुंचना है तो कुछ मिनट ही शानदार खेल दिखाना है

हर मैच में विराट को ही जूझना पड़ता है। अब हार्दिक की बारी है। 

भारत 102-3-15.1 Over


वाइड 

अगले पांच ओवर में कम से कम पचास से ज्‍यादा रन आने चाहिए। 

विराट 43 (35)

हार्दिक पांडया 9 (12)


भारत 100-3-15 Over


कोहली इन फार्म। चौका। 

भारत 96-3-14.5 Over


बहुत डॉट गेंद आ रही हैं। 


हार्दिक के 11 गेंद पर आठ रन

भारत 95-3-14.3 Over


भारत 95-3-14.2 Over


मैदान भी हार्दिक। 

उठ गए पांडया। लगा चौका। 

भारत 91-3-14.1 Over


भारत 90-3-14 Over


पाडया उठा दो इनका भांडा। उड़ाओ गेंद। 

भारत 89-3-13.5 Over

भारत 88-3-13.4 Over


भारत 87-3-13.4 Over


भारत 86-3-13.3 Over


कोहली तक हमारा ब्‍लाग पहुंच रहा है क्‍या। चौका लगा दिया गुरु। 

जागे कोहली। चौका। 


भारत 81-3-13.1 Over

पांडया सात गेंद खेल चुके हैं। अब तक दो रन ही निकले। 

भारत 80-3-13 Over

भारत 80-3-12.5 Over

भारत 79-3-12.4 Over


जागो कोहली जागो। ये स्‍ट्राइक रेट आप पर सूट नहीं करती। 

भारत 78-3-12.1 Over

कोहली 26 गेंद पर 29 रन बनाकर खेल रहे हैं 

भारत 77-3-12 Over

भारत 76-3-11.5 Over

भारत 75-3-11.4 Over

क्रीज पर अब हार्दिक पांडया।  

सूर्यकुमार यादव 14 रन बनाकर आउट। दस गेंद खेलीं। एक चौका और एक छक्‍का लगाकर पैवेलियन लौटे।

भारत 75-3-11.2 Over


राशिद के शिकार हुए सूर्यकुमार यादव। 

इंग्‍लैंड जीता तो इंग्‍लैंड के पीएम सुनक जरूर खुश होंगे। भारत जीता तो भी खुश होंगे। वो भी तो भारतीय मूल के हैं। 

भारत 75-2-11.1 Over


सूर्यकुमार 25 गेंद भी खेल गए तो इंग्‍लैंड का भूत बनना तय है। 

भारत 74-2-11 Over


सूर्य सूर्य 

सूर्य का चौका। 

सूर्यकुमार का गगनचुंबी सिक्‍स। ग्‍यारहवे ओवर की पांचवीं गेंद पर सूर्य का सिक्‍स। 

दस ओवर के बाद ड्रिंक टाइम। इंग्‍लैंड के नजरिये से हालात ठीक। भारत को अब गियर बदलना होगा। 

विराट 26 (23)

सूर्यकुमार यादव 3 (4)


भारत 62-2-10 Over

भारत 61-2-9.5 Over

भारत 60-2-9.3 Over

भारत 58-2-9.2 Over


सूर्य का 175 का स्‍ट्राइक रेट है 

विराट 23 (20)

सूर्यकुमार यादव 1 (1)

रोहित शर्मा 27 (28) Catch Out

भारत 57-2-9 Over


दायें हाथ के बल्‍लेबाज सूर्यकुमार यादव आए हैं। 

मैदान स्‍काई स्‍काई से गूंजा। 

रोहित 27 रन बनाकर आउट। इस पारी में उन्‍होंने चार चौके लगाए। 

पर ये क्‍या। 

इस बार नहीं छूटा कैच। 

रोहित आउट। 

रोहित का कैच छूटा। दूसरी बार ऐसा हुआ है।  

भारत 56-1-8.4 Over


अगली दो गेंदें खाली। 

भारत 56-1-8.2 Over


रोहित का चौथा चौक्‍का। 

आठवें ओवर की पहली गेंद पर कोहली का सिंगल

भारत 51-1-8 Over

भारत 50-1-7.5 Over
भारत 48-1-7.3 Over

रोहित के अब तक तीन चौके

विराट का एक चौका और एक सिक्‍स। 

भारत 47-1-7.1 Over


कोहली का एक रन। 

भारत 46-1-7 Over


विराट 19 (16)

रोहित शर्मा 21 (20)

भारत 45-1-6.4 Over


रोहित से पीछे कहां रहने वाले थे विराट। 

विराट के चार रन । 

भारत 38-1-6.1 Over


भारत 37-1-6 Over

भारत 35-1-5.4 Over

शर्मा जी आज दिखाएंगे कमाल। 

रोहित का पांचवें ओवर की पहली गेंद पर शानदार दहाड़ता हुआ चौका। 

भारत 31-1-5 Over

भारत 31-1-4.5 Over

जैसे पाकिस्‍तान के बाबर दहाड़े, वैसे ही रोहित से भी उम्‍मीदें। 

रोहित के लगातार दो चौकों से भारतीय दर्शकों में उत्‍साह। 

भारत 30-1-4.3 Over

रोहित का एक और चौका। 

रंग में आ रहे हैं रोहित। 

रोहित का चौका। 

चौथे ओवर की पहली गेंद पर कोहली का सिंगल। 

भारत 21-1-4 Over

रोहित क्रिज पर। कोई रन नहीं। 

भारत 21-1-3.5 Over

कोहली का सिंगल।

भारत 20-1-3.4 Over

वाइड गेंद। 

भारत 19-1-3.4 Over

गेंद खाली। 

कोहली क्रिज पर। 

भारत 19-1-3.3 Over
भारत 18-1-3.2 Over

सिक्‍स के बाद कोहली का सिंगल। 

कोहली के इरादे साफ। वोक्‍स को छक्‍का। 

कोहली का सिक्‍स। 

भारत 11-1-3 Over

तीसरे ओवर की आखिरी गेंद। रोहित ने कोई रन नहीं लिया। 

भारत 11-1-2.5 Over

धीमी शुरुआत। पर दोनों दिग्‍गज। सेट होने के बाद कर लेंगे वसूली। 

भारत 11-1-2.4 Over


कोहली से उम्‍मीदें। पूरा मैदान कोहली कोहली चिल्‍ला रहा। उत्‍साह बढ़ा रहा। 

भारत 10-1-2


कोहली मैदान पर। कोहली ने एक रन लिया। 

भारत 9-1-1.4

बटलर ने लिया राहुल का कैच। 

और केएल राहुल आउट। 

भारत 9-0-1.3

भारत 9-0

रोहित ने दो रन लिए। 

रोहित का एक रन। 

6-0

दूसरे ओवर की पहली गेंद, रोहित ने कोई रन नहीं लिया। 

एक चौका खाने के बाद स्‍ट्रोक्‍स ने वापसी की। 

एक ओवर की समाप्ति पर छह रन। 

छठी गेंद - राहुल के पास। कोई रन नहीं। 

पांचवीं गेंद - राहुल बीट हुए। कोई रन नहीं। 

चौथी गेंद - रोहित ने खाता खोला। 

तीसरी गेंद - रोहित के लिए। कोई रन नहीं। 

दूसरी गेंद पर राहुल ने एक रन लिया। 

पहली गेंद पर राहुल का चौका

  • भारत ने पहले बल्‍लेबाजी करते हुए इस साल 24 में से 17 मैच जीते हैं 
  • इंग्‍लैंड मुकाबले में पीछा करने के मामले में कमजोर। इस साल इंग्‍लैंड ने 13 मैचों में बाद में बल्‍लेबाजी की और इनमें से 4 मैच ही जीत सका। 

यानी आंकड़े भारत की तरफ। 

पहले गेंदबाजी करने का निर्णय लिया।
भारतीय फैंस कुछ निराश।
लेकिन भारतीय टीम पर भरोसा। 


टॉस हारने के बाद भारतीय टीम के कप्‍तान रोहित शर्मा ने कहा,
हम वैसे भी पहले बल्लेबाजी ही करते। हमने अच्छा क्रिकेट खेला है, हमारे लिए उसी तरह खेलने का एक और मौका है। हमने हाल के वर्षों में इंग्‍लैंड के साथ काफी अच्छा खेला है। जानते हैं कि उनके पास क्या ताकत-कमजोरियां हैं। शांत रहना महत्वपूर्ण है और वह करें जो हम करना चाहते हैं। चोट ने मुझे डराया जरूर लेकिन अब मैं ठीक हूं। 


इंग्लिश कप्‍तान जोस बटलर बोले,
हम पहले गेंदबाजी करने वाले हैं। यहां बहुत अच्छा माहौल बनने वाला है। एक अच्छा विकेट है।

मैच से पहले हार्दिक पांड्या बोले 
हम बहुत उत्साहित हैं। यहां हर गेंद मायने रखेगी। हम शांत रहने की कोशिश कर रहे हैं। बहुत सारे लोग पूछते रहते हैं कि आप इन परिस्थितियों में खुद को कैसे शांत पाते हैं। इसमें से बहुत कुछ तैयारी से आता है। यदि आप अपने कौशल के बारे में आश्वस्त हैं, तो आप शांत रहेंगे। कभी-कभी मुझे लगता है कि हम अच्छी बल्लेबाजी नहीं कर रहे हैं या शायद वे (स्काई, कोहली) बहुत अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं (हंसते हुए)। मुझे अब भी लगता है कि स्काई को अंतरराष्ट्रीय मौका दो साल देर से मिला। भगवान वास्तव में दयालु हैं और वह हमारे लिए शानदार रहे हैं।


Thursday, August 16, 2018

युद्ध की धरा पर अटल पांव, बातें हाली की

कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है।
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है।
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है।
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है।
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है।


युद्ध की धरा पर अटल पांव, बातें हाली की

पानीपत की धरा। सुल्तान पंरपरा को रौंदकर बादशाही हुकूमत की गवाह। लोधी की कब्र जो एक पार्क में सुशोभित है। मुगल का भी तो अंत ही हुआ। अयोध्या में बाबरी मस्जिद तो सारी दुनिया जानती है। पर पानीपत में भी एक बाबरी मस्जिद है। बाबर की बनाई मस्जिद। लाखों के लाख मराठे यहां अकाल मौत की नींद सो गए। उसी जमीं पर जब अटल के पांव पड़े तो उन्होंने कोई युद्ध गीत नहीं गाए। उन्होंने कोई रक्त की बात नहीं की। कवि ह्रदय ने युद्ध का संवाद छेड़ा भी तो जनता के लिए ही। जन जन के आंसुओं का हिसाब मांगा। अपनी कविता में भी तो उन्होंने कहा है, रंक को तो रोना है।
आइये आपको बताते हैं, अटलजी जब पानीपत में आए थे। या यूं कहें कि जब- जब पानीपत आए, तब-तब उन्होंने जिंदगी में आगे बढऩे का ही संदेश दिया। बात 70 के दशक की है। अटलजी पानीपत के एक जलसे में आए थे। तब के जनसंघ के बड़े नेता फतेहचंद विज ने उन्हें बुलाया था। आज उनके बेटे प्रमोद विज ने जिले में भाजपा की कमान संभाली हुई है।
तब अटलजी ने, खुले मंच से जंगों की बात नहीं, हाली की बात की थी।
बोले थे, चार डग हमने भरे तो क्या किया, है पड़ा मैदान कोसों का अभी।
जरा सोचिये, कितनी बड़ी बात कही। हाली के जरिये, कह गए। कितनी मंजिलें तो अभी बाकी हैं।
उन्हीं मंजिलों में एक थी पानीपत रिफाइनरी की कहानी। आज दुनियाभर में पानीपत से बना प्लास्टिक अगर मशहूर है तो रिफाइनरी और नेफ्था क्रेकर प्लांट की वजह से। आज हमारे विमान अगर उड़ान भरते हैं, तो उसकी वजह है पानीपत की रिफाइनरी। यहीं का रिफाइंड तेल विमानों में भरा जाता है।
तो ऐसे थे हमारे अटल।
तो क्या ये मान लिया जाए कि अटलजी केवल विकास की बात करते थे।
जवाब होगा, जी नहीं।
वो विकास से पहले इंसान बनना सिखाते थे।
हाली की ही एक कविता का उन्होंने जिक्र किया
बोले थे- फरिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना।
मगर इस में लगती है मेहनत ज्यादा।

आप सोच रहे होंगे अटलजी के बारे में इतनी बातें हो गईं, पर उनका एक खास शौक तो रह ही गया। वो शौक था खाने का। उन्होंने कभी इसे छिपाया नहीं।

ग्वालियर के बहादुरा के बूंदी के लड्डू हों या फिर दौलतगंज की मंगौड़ी। अटल जी के प्रिय व्यंजनों में से हैं. हर दुकान से उनकी यादें जुड़ी हुई हैं। बहादुरा के लड्डू उन्हें इसलिए भी पसंद थे क्योंकि वे ग्वालियर शहर के शिंदे की छावनी में जन्मे और वहीं पले-बढ़े। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी के मुंह से ग्वालियर के हलवाई के लड्डू, जलेबी और कचौड़ी का जायका नहीं गया। अटलजी को चायनीज, खिचड़ी, खीर और मालपुआ बहुत पसंद थे। वहीं दिल्ली में रहने के दौरान वे अक्सर पराठे वाली गली, सागर और चंगवा के यहां जाकर कुछ न कुछ जरूर खाते थे. मिठाई अटलजी के पकवानों की मेन्यू लिस्ट में हमेशा सर्वोपरि रही। भांग के अटलजी शौकीन रहे हैं। उनके लिए उज्जैन से भांग आती थी.

इन सबके के बीच, वो पानीपत की कचौडिय़ों के भी शौकीन थे। किले के पास चिमन हलवाई की कचौड़ी की उन्हें खबर लगी तो सीधे पहुंच गए थे वहां। अपने साथियों को भी खिलाई। तब एक जगह उन्होंने कहा था, पानीपत की कचौड़ी तो शानदार है।

तो ऐसे थे हमारे अटल।


Saturday, August 12, 2017

सब्र जिसे कहते हैं, वो भावना चौक पर रहता है

न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन...। क्या खूब कह गए हैं जगजीत सिंह। क्या सब्राना फिलॉसफी है। मैं तो कहता हूं सरकार को एक डाबर जन्म घुट़टी के पैरलल एक सब्राना घुट़टी भी जनता के नाम जनता के लिए जनता के हित में जारी करनी चाहिए। होशाना उम्र से पहले ही बच्चा दुनियादारी समझ जाए। वैसे आपको बता दें कि ये सब्र के शाब्दिक पैमाने भावना चौक से होते हुए छलके हैं।  आइये, जरा भावना चौक पर टहल आते हैं और इस सब्र की घुट्टी को भी समझ लेते हैं। 
रास्ते में ही पड़ता है देवी मंदिर। मां दुर्गा का आशीर्वाद लेकर ही आगे बढ़ते हैं। सौ कदम ही आगे चले थे। वधावाराम कालोनी का सुरेंद्र अपने ऑटो रिक्शा को उल्टा किए खड़ा था। पत्रकार को क्या चाहिए। मुसीबत से तड़पता इंसान। लिखने को चार लाइनें। पास जाते ही पूछा, क्या बात, खराब हो गई क्या मशीन।
चेहरे पर लंबी मुस्कान लिए सुरेंद्र ने कहा- भाई साहब। लगता है चौक पर नए आए हो। मालूम नहीं क्या, हमें चलते ऑटो रिक्शा अच्छे नहीं लगते। ये डेढ़ का बीज खराब ही नहीं हो रहा था। इसलिए उल्टा टांग दिया है। मन को शांति मिल रही है। आगे कोई ऑटो को लैटाकर बैठा हो तो उससे ये सवाल मत पूछना। सड़क साफ सुथरी, बिना टूटी हुई हो तो हमसे रोटी नहीं खाई जाती, ऑटो कैसे चलाएंगे। 
भाई, बड़े सब्र वाले हो। मैंने सुरेंद्र से हाथ मिलाकर आगे की राह पकड़ी। एक रिपोर्ट खराब कर दी।
थोड़े कदमों पर एक ताई मिली। सिर पर गेहूं का कट्टा। आधे पैर कीचड़ से सने। 
भाई, मिल गया कसूत फोटो और मैटर। पत्रकार मन ने हिचकोले खाए।
क्या बात ताई, घणी परेशान हो री सै के। सरकार ने बिरान माट्टी कर दी के। 
के कहवे है बेट्टा। तनै काच्चे काटदे लोग आच्छे कौनी लागदे।
ताई, इसमें कौन से काच्चे काट्ट री सै। अपनी हालत देखी है।
रे छोरे, शहर में नया आया सै। फिर पिछला सवाल सामने आ गया।
यो कीचड़ कौनी, म्हारे अफसरों का प्यार सै। बैरा नहीं तनै। बाढ़ की प्रैक्टिस करान लाग रहया यो खट्टर। सरकार ने कत्ती बढिय़ा काम किया सै। यू चौक पर छह महीने से रोज नू ऐ आवैं और जावैं हैं। काल ने बाढ़ आ गी ते इसी प्रैक्टिस हो जाएगी, आराम ते निकढ़ जयांगे। गेहूं का कट्टा लेकर घरां से निकड़ी हूं। तेरे ताऊ से शर्त लागी है। वापस कट्टे ने साफ सुथरा ही लयाऊंगी। सौ रुपिये उसते भी कमा लऊंगी। ईब बता। सरकार ने याड़े कीचड़ न कर रखया होंदा तो के मैं सौ रुपिये कमा लेंदी। तू पत्तरकार भी घना भोला है।
मैं ताई को राम-राम करता आगे निकला।
लो जी, मैं पहुंच ही गया बरसत को जोडऩे वाले सबसे बड़े चौक पर। पानी में जंप लगाते हुए, उछल कूद करते हुए करते हुए चार बच्चे स्कूल जाते हुए दिखाई दिए। इससे पहले कोई छींट मेरे ऊपर पड़ती, मैंने डांटते हुए कहा- ये क्या तेवर हैं। यहां पत्रकार मेट कीचड़ फिल्म चल रही है क्या। जब हैरी मेट सेजल से वाक्य जोड़ा तो मुझे खुद ही आश्चर्य हुआ, क्या लाइन मारी है। 
क्या अंकल। हम तो आपका ही भला कर रहे थे।
इसमें क्या भला है। 
देखिए। हम रोज स्कूल जाते हैं। जमीं पूरे कीचड़, मिट्टी के साथ। इससे पहले हमारे चरण शिक्षा के मंदिर में पड़े, मैडम हमें छुट्टी का प्रसाद दे देती हैं। हम तो चाहते हैं सरकार ये रास्ता बनाए ही नहीं। फालतू में छुट्टियां खत्म हो जाएंगी। आप भी कीचड़ मलो और दफ्तर से होलिडे लेकर निकड़ पड़ो।
भाई आइडिया तो कसूत है। खैर बच्चों से छुटकारा पा मैं एक सरदारजी के पास पहुंचा।
भाजी, बड़ी मुश्किल च रह रहे हो। किद्दा गुजारा करदे हो ऐथे।
सरदारजी ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा। जैसे मैंने कोई यूएफओ का सवाल पूछ लिया हो। 
मेनूं लागदा तू ऐथे नया आया है। तीसरी बार फिर वही सवाल सामने।
काके। असीं मां भारती, ऐस देश से सच्चे सेवक हैगे हां। मोदी ने कहया सी, चंगे देन आवन गे। सानूं पुरा विश्वास हेगा। चंगे देन आवनगे।
ओ ते नोटबंदी च दगा हो गया। काला पैसा सरकार कौल पोंचया कोनी। दसों, कित्थों सड़कां बननगियां। 
पनामा पपर्स तो उम्मीद जगी हे, जिवे पाकिसतानियां दा शरीफ बेनकाब होया है, ओवें ही साड्डे देश दे गद्दार वी फड़े जानगे।

फेर पैसा आऊगा तो ऐथे शीशें वांगु सड़क बनुगी। 
तू वी ऐथे छालां मार। सरकार नूं दिखा। असीं देश दे नाल वां।
तभी 
भारत माता की जय...करता एक कारवां वहां से गुजर गया।मैं भी समझ गया, सब्र जिसे कहते हैं, वो भावना चौक पर रहता है।

Thursday, January 28, 2016

चर्चा में शनि

शनि मंदिर चर्चा में है। मुझे भी मेरी वो यात्रा याद आ गई। पहले इसे शेयर कर चुका हूं, सोचा एक बार फिर आपसे साझा करूं...।

मेरी
 यह पोस्ट शायद कुछ लोगों को नाराज कर सकती है। हो सकता है कि कुछ लानते-मलानतें भी भेजें। पर मैं खुद को रोक नहीं सका हूं। सोचा तो यह था कि पुणे से लौटते ही अच्छे-अच्छे संस्मरण लिखूंगा और ढेर सारी बातें शेयर करूंगा। पर वापस लौटते समय लिए गए एक निर्णय से काफी दुखी हूं।
बात 24 अक्टूबर की है। इसी दिन रात को मनमाड़ से दिल्ली तक मेरी ट्रेन थी। सोचा दिनभर खाली क्या करेंगे। शनि सिंगणापुर और शिरडी में घूम आते हैं (दर्शनों की बात तो बाद में ही सोचते हैं)। पिछले 14 दिनों की थकान को साइड में रखकर भारी बैग उठाए मैं अपने मेरठ के एक मित्र के साथ चलने को तैयार हो गया। बस और ऑटो से धक्के खाते हुए सबसे पहले शनिदेव के द्वारे पहुंचे। समझिए की शनिदेव की कृपा शुरू हो गई। ऑटो वाले ने शनिदेव मंदिर से दूर एक मैदान में छोड़ दिया। यहां हमारी तरह हजारों लोग आए हुए थे। हमें देखते ही एक दुकानदार दौड़ा आया और हमारा सामान अपनी दुकान में रखवा दिया। हम तो चाहते ही यही थे कि कहीं सामान रखने की जगह मिल जाए। फिर जाएंगे दर्शन करने। पर सामान रखवाने की कीमत मुझे चार सौ रुपए देकर चुकानी पड़ी। बदले में क्या मिला, दो-चार फोटो और दो सौ ग्राम सरसो का तेल। बंदे ने बताया कि ये तेल शनिदेव को चढ़ाना है। इससे वो खुश होते हैं।
मैंने पूछा दादा (यहां रहते-रहते हर किसी को दादा कहने की आदत हो गई), हम तो अपने शहर में तेल नहीं लेकर जाते। अगर लें भी जाएं तो एक कटोरी चढ़ा देते हैं। हम इतना तेल ले जाकर क्या करेंगे।
उसने हैरान होते हुए कहा, ये देखिए सरजी। लोग पांच-पांच लीटर तेल लेकर जा रहे हैं और आप दो सौ ग्राम तेल चढ़ाने में हिचक रहे हैं।
मैंने ज्यादा बहस नहीं की और स्नान करके रीति अनुसार धोती पहनकर चल दिया शनिदेव के द्वारे।
लंबी लाइन। चलते-चलते पैर थक गए। फर्श पर तेल ही तेल था। बुरी तरह टूट चुका था। वो तो अच्छा हुआ गिरा नहीं। सोच रहा था, पानीपत से क्या मैं यह तेल चढ़ाने यहां आया हूं। क्या कर रहा हूं मैं...।
आखिर में शनिशीला के नजदीक पहुंच ही गया। हजारों हजार लोग तेल चढ़ाने में जुटे हुए थे। हम सुबह ग्यारह बजे पहुंच गए थे वहां। सुबह से इतनी भीड़ थी तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिनभर में लाखों लीटर सरसों का तेल चढ़ जाता होगा। जिस देश में चालीस करोड़ जनता बीस रुपए रोजाना से कम पर गुजारा करती है, उस देश के देवता लाखों लीटर तेल पीकर संतुष्ट होते हैं। हैरानी ये कि महिलाएं कहीं नजर नहीं आ रही थीं। पता चला कि उन्हें अनुमति नहीं है। हमारे शहर में तो शनिवार को सुबह-सुबह मोहल्लों में आने वाले शनिदेव को तेल चढ़ाती हैं। मंदिरों में इन्हीं की भीड़ रहती है।
खैर, मूड खराब हो चुका था और मैंने आधे मन से शीला पर थोड़ा तेल चढ़ाया और पैकेट वहीं रखकर आगे निकल आया।
जाते-जाते तय कर लिया, दोबारा कम से कम तेल चढ़ाने तो नहीं आऊंगा।
बाहर आकर उसी दुकान पर कपड़े बदले और निकल चले शिरडी। सवारियों से भरी निजी गाड़ी में हम भी फेवीकोल की तरह चिपक कर बैठ गए। गाड़ी वाले ने बताया, एक घंटे तक पहुंच जाएंगे शिरडी। मगर हाय री किस्मत। थोड़ी दूर चलते ही दिखाई दिया कि आरटीओ का छापा था। गाड़ी वाले ने तुरंत स्टेयरिंग घुमाया और पहिए कच्चे रास्ते पर दौडऩे लगे। गाड़ी उछलती-कूदती कच्चे रास्ते पर दौड़ती हुई तीन घंटे बाद हमें शिरडी तक आखिर ले ही गई।
बीच में मन ही मन डॉयलॉग मार चुका था, उम्मीदों का चिराग जलाए रखना...। कभी तो रात होगी। 
खैर, शाम से पूर्व हम शिरडी पहुंच गए। यहां उतरते ही सिंगणापुर की तरह एक बंदा आया और हमारा सामान रखवाने की बात करने लगा। मगर इस बार हमने सामान दुकान पर नहीं बल्कि क्लॉक रूम में रखवाया। सात रुपए का टिकट कटवाया। वो बंदा हमें अपनी दुकान पर ले गया। यहां पर भी डेढ़ सौ रुपए की पर्ची कटवाई और प्रसाद का थैला लेकर हम चल दिए दर्शन करने।
जाहिर है तन टूट चुका था और मन भी आधा फूट चुका था। फिर भी अपने मित्र के साथ कदमताल करते हुए चलते रहे। मेरा मित्र काफी धार्मिक ह्रदय का बंदा है। शनि मंदिर में भी जय शनिदेव जय शनिदेव करते आंखें मूंदे हुए चलता रहा। यहां भी साईं भक्ति में कंपलीट डूबा हुआ था। मैं भी ईश्वर को मानता हूं, पर आवाज पता नहीं कहां गायब हो जाती है।
थोड़ी आगे पहुंचे ही थे कि अंदर जाने का रास्ता दिखाई दिया। इससे पहले कि अंदर जाते, सिक्योरिटी गार्ड ने रोक लिया।
भाई कहां जा रहे हो। यहां वीआईपी पास मिलते हैं। अगर आपको पास लेकर दर्शन करना है तो जाओ, नहीं तो आगे से दर्शन करो।
मैं चौक उठा। दादा ये क्या माजरा है।
भाई साहब, सौ रुपए देकर पास मिलता है। पास लोगे तो पंद्रह मिनट में नंबर आ जाएगा और नहीं लोगे तो डेढ़ घंटे में नंबर आएगा।
रोम-रोम तो कह रहा था कि सौ रुपए दो और दर्शन करके चलते बनो।
पर अगले ही पल यह ख्याल मन से निकल गया। शनि मंदिर से जो खट्टा अनुभव लेकर चला था, यहां भी दिल और टूट गया।
सौ रुपए देकर साई बाबा के दर्शन। क्यों? जिसके पास सौ रुपए नहीं है वो बेचारा लाइन में लगा रहे। तड़पता रहे दर्शनों को। वाह रे साई बाबा। यहां भी अमीरों की सुनवाई।
मन तो किया यहीं से वापस लौट जाऊं। पर नहीं कर सका। वही हुआ जो सिक्योरिटी गार्ड ने बताया था। बिना पास के लाइनों में लगे हुए भक्तों का नंबर डेढ़ घंटे में आया जबकि पास लेकर आए भक्त हमारे सामने से विशेष गेट खुलवाकर दर्शन करके चलते बने।

मेरे साथ ही कुछ बुजुर्ग भी चल रहे थे। मन में ख्याल आया कि अगर वीआईपी पास बनाना ही है तो इन बुजुर्गों का फ्री क्यों नहीं बनाते। ये भी किया जा सकता है जो युवा अपने माता-पिता को लेकर आएं, उनका पास फ्री बनाया जाएगा। कम से कम पास के ही बहाने बच्चे अपने माता-पिता को लेकर तो आ सकते हैं।
मरते-मरते किसी तरह दर्शन किए और बाहर निकले। मैं आगे चल रहा था अपने मित्र से बात करते हुए। बात करते-करते मैं तो आगे बढ़ गया, जब पीछे मुढ़कर देखा तो मित्र था ही नहीं। पीछे गया तो मित्र महोदय एक मंदिर में साष्टांग प्रणाम किए हुए लेटे हुए थे। मैं बाहर ही बैठ गया और मन ही मन प्रार्थना की कि मुझ दुष्ट का तो जो होगा सो होगा, पर मेरे मित्र को साई बाबा जरूर कामयाबी देना।
जाते-जाते यहां भी तय किया, दोबारा नहीं आऊंगा। कम से कम जब तक ये सौ रुपए के वीआईपी पास दर्शन खत्म नहीं होते।
मन इतना टूट चुका था कि तय किया कि घर जाकर प्रसाद भी नहीं बांटूंगा। क्यों बांटू प्रसाद। इसका मेरे अंतर्मन ने कोई जवाब नहीं दिया।

Thursday, November 12, 2015

दाल, धुआं, रामराज और लक्ष्मी जी

जयश्री जय श्रीराम। स्वर्ग लोक में खाकी निकर पहनकर टहलते हुए नारद जी लक्ष्मी को देखकर रुक गए। रॉलेक्स घड़ी की तरफ देखते हुए नारदजी चौके। घड़ि की सूइयां दीपावली के शुभ मुहूर्त की तरफ दौड़े चली जा रही थी। नारदजी हैरान इसलिए, क्योंकि माता लक्ष्मी थी कि अब तक तैयार ही नहीं हुई थीं धरतीवासियों (ऑनली विश्वगुरु भारत) के पास जाने के लिए।
माते, क्या हुआ। अब तक कुछ श्रृंगार नहीं। क्या इस बार हरी की धरा पर जाने का विचार नहीं।
क्या बताऊं नारदजी। तुम तो जानते हो, पिछली बार जब गई तब आधे रास्ते से ही लौटना पड़ा। विष्णु जी कितनी तकलीफ में आ गए थे। दवा-बूटी लाने में भागदौड़ करते रहे। हनुमानजी को धरती वासी छोड़ते नहीं। वे ही पहले ला दिया करते थे बूटियां। पिछली बार धरती पर एंट्री से पहले ही रॉकेट इधर से उधर निकल गए। पिछली बार तुम सोनिया के घर से इटेलियन पायल लाए थे, वो रॉकेट में उलझकर कहीं खो गई। माया का पर्स हाथ से छिटक गया था। धुएं से बचने के लिए किंग खान का दिया चश्मा पहना था, उसमें तो कुछ दिखा ही नहीं। फिल्मी चश्मे के कारण गिरते-गिरते बची। धमाके इतने के कान फट गए। इतने तीर तो रामजी ने भी रावण को मारने के लिए नहीं छोड़े होंगे, जितने धमाके वहां हो रहे हैं।
तो क्या हुआ माते, इस बार नजारा कुछ और ही है। इस बार मैं आपके लिए खाकी चुन्नी लाया हूं। ये साथ ले जाएं।
नहीं नारद। पिछली बार धुएं के कारण एलर्जी हो गई थी। छह महीने लगे ठीक होने में।
माते, इस बार सब व्यवस्था ओके है। सरकार देवी-देवताओं की आई है। सब भजन गा रहे हैं। देवताओं को याद कर रहे हैं। पहले कहां ऐसा होता था।
अच्छा जी, पर वो धुआं-धक्खड़। जाम का क्या होगा।
उसका ही तो इंतजाम हुआ है इस बार।
तो क्या, हमारी प्रिय अवतरन धरतीनगरी जागरूक हो गई है।
ये ही समझ लो माते।
और नारद तुम तो अभी वहीं से लौटे  हो। चेहरा भी चमक रहा है। खांस नहीं रहे। और ये खाकी ड्रेस क्यों पहनी है। तंबूरे की जगह लाठी क्यों पकड़े हो।
माते, यही तो बता रहूं। रामराज आ गया है, रामराज।
सब भगवान का नाम जप रहे हैं।
तुम गोलमोल बातें बहुत करते हो। पहले तो ठीक पत्रकार थे, जब से धरती से लौटे हो, वहां के मसखरे पत्रकारों की तरह हो गए हो। सही बताओ।
माते, राम का नाम लेने वालों की सरकार आई है। वैसे तो कोई राम नाप जपता नहीं। इसका हल निकालते हुए महंगाई पर कंट्रोल बंद कर दिया। बेचारे दाल तक के लिए तरस गए। रोते हुए राम का ही नाम लेंगे न। ऐसे रामराज्य की स्थापना भी हो रही है। कोई अल्लाह-अल्लाह का राग छेड़े तो चूं-चपड़ करने वाले को तंबूरे की जगह ये लठ्‌ठ समझाने के लिए काफी है।
पर पुत्र, वो धुएं का क्या हल निकाला।
क्या माते, आप भी कितनी भोली हैं। तभी तो बैकुंठधीश आपसे दूर होने के लिए कोई न कोई बहाना ढूंढते रहते हैं। कोई न कोई कथा गढ़ ही लेते हैं।
नारदजी, क्या आप सच कह रहे हैं, स्वामी ऐसा करते हैं।
माते, आप पृथ्वीं पर जाइए, उनको बाद में छेड़ना।
रामराज्य के आइडिये में ही धुएं का हल छिपा है माते। दाल नहीं खरीद पाते तो रॉकेट, पटाखे कहां से लाएंगे।  प्रदूषण नहीं होगा तो नगरी साफ ही रहेगी न। माल-मत्ता जेब में नहीं होगा तो काहे बाहर घूमने को जाएंगे। तो, जाम की भी आपको फिक्र नहीं।
क्या, पुत्र। हर जगह इतनी शांति। फिर तो जाना बनता ही है।
पुत्र, रामराज्य की वजह से ही तुम जयश्री राम जयश्रीराम बोल रहे हो। नारायण को छोड़ दिया।
वाह माते, आप तो बहुत जल्दी समझ गईं इस बार। रामराज में जाना है तो राम-राम तो कहना ही पड़ेगा।
अरे, स्वामीजी सुनते हो। इस शेषनाग को त्यागाे और मेरे साथ इस बार आप भी चलिए।
सबसे पहले दसजनपथ चलते हैं।
रुको माता, एड्रेस अपडेट करो। 7 रेसकोर्स, पंचवटी जाना है इस बार। वहीं पर मेरा तंबूरा पड़ा है। उसको लेते आना। लौटते हुए नागपुर से कुछ खाकी कपड़े लेते आना। गलती से एक ही ड्रेस लेकर आया हूं। इसे पहनकर जाने पर इज्जत बढ़ जाती है।

Tuesday, March 11, 2014

इन नेताओं से तो फिल्मी लड़कियां ही अच्छी हैं, बोल्ड, ब्यूटीफुल, समझदार...


देश में होने वाले चुनाव इस समय सबसे बड़ा टॉकिंग इश्यू बने हुए हैं। बड़े से बड़े विश्लेषक (गलतफहमियां हो जाती हैं, इंसान ही तो हैं) से लेकर आम आदमी के कमेंट्स से फेसबुक, ट्विटर जैसी साइट्स और इधर-उधर होने वाली चौपालें भरी रहती हैं।
नेताओं से इतर, मुझे एक बात सुनने को मिली, जो यहां शेयर कर रहा हूं। है पॉलिटिक्स से जुड़ी ही। मैं और मेरी क्वीन  (शिल्पा) कुछ दिनों पहली देखी फिल्मों पर चर्चा कर रहे थे। हर फिल्म में एक कॉमन बात थी, पहले की फिल्मों में हीरो ही हीरो छाए रहते थे, लड़कियों की अहमियत ही नहीं होती थी। पर अब जैसे लगता है ये साहसी अभिनेत्रियां इन्हें पीछे छोड़कर अपना मुकाम बना रही हैं। दीपिका को देखिए- ये जवानी, दीवानी में रणबीर को बैकफुट पर कर दिया तो राम-लीला में रणवीर कहां टिकते हैं। हाईवे में मंझे हुए हुड्डा के सामने आलिया भट्ट शेरनी की तरह छा गई...। परिणीति की हंसी तो फंसी देख लीजिए- हर तरफ वही है। आशिकी फेम श्रद्धा कपूर की आंखों को देखकर लगता है कि कहीं से वे नई अदाकारा है। हर भाव उनकी आंखों से झलकता है। अगर वो न भी बोलतीं तो भी चल जाता।
तनु वेड्स मनु वाली कंगना अब क्वीन में क्वीन साबित हो रही हैं।
समझदार समीक्षकों, सिर्फ मनोरंजन ढूंढने वाले दर्शकों की परिभाषा पर भले ही इन अभिनेत्रियों की कुछ फिल्में खरी न उतरें, पर कुछ न कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है। आप याद कीजिए, कब आप बुढ़ाते अभिनेताओं को ध्यान में रखकर फिल्म देखने गए थे और कब आप इन साहसी अभिनेत्रियों को देखने गए थे। शायद आंकलन आसान हो जाए या फिल्म देखने के बाद सोचा हो।
खैर, अब जरा मुख्य बात की तरफ लौटूं।  बातों के बीच बात निकली- क्यों न इन नेताओं की जगह फिल्म की लड़कियों को मौका दें देश चलाने का।  बोल्ड हैं, ब्यूटीफुल और समझदार है। लड़कों के छक्के छुड़ा रही है। बात-बात पर झगडऩे, कुर्सियां उठाने वाले नेताओं से तो अच्छा ही देश चलाएंगी...।
सुन/पढ़ रही हो लड़कियों...चीयर्स

Thursday, July 18, 2013

चिंता मेरी या हम सबकी

चिंता मेरी या हम सबकी

 
बात तो बहुत छोटी सी है, लेकिन मुझे बड़ी प्रतीत हो ही थी। सो, आपके साथ साझा कर रहा हूं। मेरी सवा साल की गुडिय़ा है, जबकि एक परिचित की गुडिय़ा साल की है। कुछ दिन पहले परिचित हमारे घर अपनी गुडिय़ा के साथ आए। उनकी गुडिय़ा पोएम, 'ऊपर पंखा चलता है, नीचे गुडिय़ा सोती है...' पर अच्छे हाव-भाव बना रही थी। मम्मी-पापा जो कहते, उसे फॉलो कर रही थी। जबकि हमारी गुडिय़ा, जो उससे थोड़ी बड़ी है, उसकी अपना ही नटखटपन है। जैसे- उसे बाय करने को कहो तो डांटते हुए स्वर में हू कहती है, ताकि कोई उसे छोड़कर न जाए। यानी, जब मन हुआ हाथ हिलाकर बाय कहना और जब मन न हुआ तब डांट देना। पानी को अभी मम कहकर नहीं बुलाती। बस रोने लग जाती है। सारा दिन सिर्फ खेलने की तरफ और चीजें उठाकर इधर-उधर रखने का शौक। आप सोच रहे होंगे कि इसमें समस्या क्या है।
समस्या यह है कि गुडिय़ा की मम्मी और परिवार वालों को यह चिंता सता रही है कि हमारी गुडिय़ा हमारे कहे अनुसार हाव-भाव क्यों नहीं बनाती। सबके सामने मम्मी को मम्मी, पापा को पापा क्यों नहीं कहती। पोएम पर कुछ करती क्यों नहीं।
मैं उन्हें समझाता हूं, अरे भई- नन्ही सी जान है बेचारी। सवा साल के बच्चे को क्या अपने इशारों पर नचाओगे। उसके भोलेपन, मासूमियत और बालमन को इन्जवॉय करो। लेकिन मेरी इस बात को कोई सुनता ही नहीं। कभी-कभी तो मैं भी उनकी बातों से चिंतित हो जाता हूं। फिर जब मैं कहता हूं कि इसे तो चार साल बाद स्कूल में डालेंगे। बचपन जी लेने दो इसे। मेरी इस बात पर तो मानों तूफान खड़ा हो जाता है। सवा दो साल में स्कूल डालने की बात शुरू हो जाती है।
अब बताइए, क्या किया जाए...।