Thursday, July 9, 2009

हमारे ताज पर दाग क्यो

रवि तू ये क्या कर रहा है... मुझे भी तो बता।
पिंकी ये हमारे देश का नक्शा है। आज मैडम ने नक्शा भरना सिखाया है और घर से भरकर लाने को कहा है... मैंने पिंकी (छोटी बहिन) को जवाब देते हुए कहा, ये देख हम यहाँ पर हैं...और ये रहा बॉम्बे।
इतने में पापा भी आ गए और मुझे एक ताज देकर कहा, बेटा इससे संभाल कर रखना...ये अब तुम्हारी पगड़ी हो गयी (असल में वो ताज बांकेलाल की कॉमिक्स के साथ मुफ्त मिला था। मुझे कॉमिक्स अच्छी लगती थी तो पापा हमेशा न्यू कॉमिक्स लेकर आते थे।)
पापा ने उस ताज से अपने स्वाभिमान और गौरव की सिख दी थी ( जो उस समय शायद मैं ज्यादा समझ नहीं सका) इतने में पापा ने मेरे हाथ में नक्शा देखा और कहा देखो बेटा इसमें सबसे ऊपर है जम्मू-कश्मीर। ये हमारे देश का ताज है...
अच्छा पापा...क्या हम वहा जा सकते हैं, अपने ताज को देख सकते हैं...पिंकी ने खुश होते हुए पूछा।
अभी नहीं बाबू...हमारे ताज को किसी की नजर लग गयी है...पापा ने जवाब दिया।
किसकी नजर लगी है...देखो नक्शे में तो हमारा देश एक ही है...फिर क्यों नहीं जा सकते...पिंकी ने मासूमियत से पूछा।
पिंकी के उस सवाल का जवाब ना मेरे पास था और न पापा के पास....( उन दिनों हमारे पड़ोस के किसी व्यक्ति की कश्मीर में हत्या कर दी गई थी)
आज जब हम गर्मियों में बाहर घुमने का प्लान बनातो बन रहे थे, उसी समय पिंकी इंडिया का बड़ा मैप ले आई...रवि क्यों न हम साउथ की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर चले....पिंकी ने सुझाव दिया।
मुझे फिर से बचपन याद आ गया और मैंने कहा क्यों ना जम्मू कश्मीर चले....
नहीं भाई...हमारे ताज को किसी की नजर लग गयी है...कल ही टीवी पर श्रीनगर में कर्फु और कुछ लोगो के मरने की खबर आ रही थी.....भाई ये नजर कब दूर होगी...क्या हमारा गौरव इतना कमजोर है....पिंकी के सवाल का जवाब आज भी मेरे पास नहीं है.....क्या हम कभी एक बार बिना सोचे और डरे कभी अपने ताज को देखने जा पाएंगे....

1 comment:

जगदीश त्रिपाठी said...

क्योंकि कुछ लोग वोट के लिए आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करना चाहते। उन्हें देश की नहीं सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता रहती है।